पोहे और चाय के रुटीन के बाद,
बैचेन हो चिल्ला देने वाले मन को शांत कर,
खिड़की की जालियों से छन कर,
कुर्सी पर आ बिसरी धूप
को मिनटों देखते रहे, कुछ यूं कि
वहां हैं तो, पर हैं नहीं वहां,
कहां हैं ये ठीक-ठीक बता ना पायेंगे,
पर आने के बाद, जब ध्यान फिर से सिमटे
उस कुर्सी पर छितरी, ठंडी सी धूप पर,
तो फोन के कैमरे में कैद कर,
ले आएंगे तुम्हारे लिए,
एक क्लिक भर की धूप।