ना है इस दिन के शुरू होने की ख्वाहिश,
ना ही इसके खत्म होने का इंतजार।
बस एक छोटा सा ठहराव।
जहां कुछ चिड़ियों की हो चहचहाहट,
खिड़की में रखे पौधों के
पत्तों में हल्की सी हवा,
और थोड़ी सरसराहट,
हरे नीले पीले रंगों की खुशबू,
सांस लेने भर का समय,
और फर्श पर बिखरी कुछ कविताएं।
बस इतना ही।