किंत्सुकुरोई,
कुछ यूँ मान लेना की, जो टूटा,
उसमे कुछ छुपाने जैसा नहीं,
बल्कि वो हमारे टूटने,
और मरम्मत कर पाने के
इतिहास की
एक संजीदा कहानी है।
तो चलो,
अपने टूटे रिश्ते को,
अब और छुपाते नहीं हैं।
आज जब आमने-सामने आ ही गए हैं,
जो कभी नेटफ्लिक्स में खो जाने,
कभी किचन में व्यस्त हो जाने,
कभी किताबों में डूबने की कोशिश,
तो कभी ऑफिस के काम के बहाने,
अब और बनाते नहीं हैं।
वो गुस्सा, जो पी सा गए थे,
वो झगडे, जो अधूरे रहे थे,
वो रोना, जो रोक लिया था,
और झिझक, जिसे घोंट लिया था,
उन जख्मों को, जिन्हे खुद सींचते रहे,
उन सदमों को, जिन्हे नाम तक न दिया हो,
और ऐसे न जाने कितने टूटे-फूटे किस्से,
उनको आज इत्मीनान से,
सामने रखते हैं,
फिर सोने जैसे इश्क़ से,
जो आज भी ख़त्म-होती-सी ट्यूब में,
थोड़ा तो बचा ही है,
उससे ही शुरू करते हैं,
इस रिश्ते की किंत्सुकुरोई।
4 comments:
Love the pt of the post, thank you for reminding tat it's ok to be broken , there is nthg to hide...🤗🤗🤗
Wow! It's amazing
Nice one bhaiya. 😍😍
Thank you folks for your comments
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