Thursday, October 29, 2020

क्लिक भर की धूप


 

पोहे और चाय के रुटीन के बाद,

बैचेन हो चिल्ला देने वाले मन को शांत कर,

खिड़की की जालियों से छन कर, 

कुर्सी पर आ बिसरी धूप

को मिनटों देखते रहे, कुछ यूं कि 

वहां हैं तो, पर हैं नहीं वहां,

कहां हैं ये ठीक-ठीक बता ना पायेंगे,

पर आने के बाद, जब ध्यान फिर से सिमटे 

उस कुर्सी पर छितरी, ठंडी सी धूप पर,

तो फोन के कैमरे में कैद कर,

ले आएंगे तुम्हारे लिए,

एक क्लिक भर की धूप।

Saturday, September 5, 2020

किंत्सुकुरोई

किंत्सुकुरोई,
जापानी इसे गोल्डन रिपेयर कहते हैं ,
कुछ यूँ मान लेना की, जो टूटा,
उसमे कुछ छुपाने जैसा नहीं,
बल्कि वो हमारे टूटने, 
और मरम्मत कर पाने के 
इतिहास की
एक संजीदा कहानी है। 

तो चलो,
अपने टूटे रिश्ते को,
अब और छुपाते नहीं हैं। 
आज जब आमने-सामने आ ही गए हैं, 
जो कभी नेटफ्लिक्स में खो जाने,
कभी किचन में व्यस्त हो जाने, 
कभी किताबों में डूबने की कोशिश,
तो कभी ऑफिस के काम के बहाने,
अब और बनाते नहीं हैं। 

वो गुस्सा, जो पी सा गए थे,
वो झगडे, जो अधूरे रहे थे,
वो रोना, जो रोक लिया था,
और झिझक, जिसे घोंट लिया था,
उन जख्मों को, जिन्हे खुद सींचते रहे,
उन सदमों को, जिन्हे नाम तक न दिया हो,
और ऐसे न जाने कितने टूटे-फूटे किस्से,
उनको आज इत्मीनान से,
सामने रखते हैं, 
फिर सोने जैसे इश्क़ से,
जो आज भी ख़त्म-होती-सी ट्यूब में,
थोड़ा तो बचा ही है, 
उससे ही शुरू करते हैं,
इस रिश्ते की किंत्सुकुरोई। 

Wednesday, May 20, 2020

हमको तुमसे सौ बातें करनी है।


तुम्हारा देर रात,
मोटर साइकिल निकाल
मेरे घर आ जाना।
चाँदनी रात में,
खिड़की से सटे
वाले बिस्तर पर
मेरे हांथों को थाम,
यूँ लेते हुए
जो कहना रह गया था
वो सारी बातें करनी हैं।
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।

वो सूखी दोपहरी में,
एक-दूसरे पर लदे रहना,
घूमते पँखे, और धीमी हवा से
झूलते परदों के बीच,
देखें किसको, ये तय करना,
फिर शाम चाय कौन बनाएगा,
इस पर यूँ चर्चा हो
कि जैसे किसी
देशहित का अहम मसला हो
कुछ ऐसे मुद्दों पर बहसें करनी हैं,
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।

कुछ बीती रातों की यादें,
कुछ बिन कही सी बातें,
कुछ आधे-अधूरे झगडे,
कुछ अधबुने से सपने,
और कुछ सपने ऐसे, जिन्हे
साथ मिलकर बुनना था
वो जो बुन पाते
इससे पहले ही चल बसे,
उन सपनों की मैयत पर,
थोड़ी नज़रे हल्की करनी हैं,
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।