Wednesday, May 20, 2020

हमको तुमसे सौ बातें करनी है।


तुम्हारा देर रात,
मोटर साइकिल निकाल
मेरे घर आ जाना।
चाँदनी रात में,
खिड़की से सटे
वाले बिस्तर पर
मेरे हांथों को थाम,
यूँ लेते हुए
जो कहना रह गया था
वो सारी बातें करनी हैं।
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।

वो सूखी दोपहरी में,
एक-दूसरे पर लदे रहना,
घूमते पँखे, और धीमी हवा से
झूलते परदों के बीच,
देखें किसको, ये तय करना,
फिर शाम चाय कौन बनाएगा,
इस पर यूँ चर्चा हो
कि जैसे किसी
देशहित का अहम मसला हो
कुछ ऐसे मुद्दों पर बहसें करनी हैं,
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।

कुछ बीती रातों की यादें,
कुछ बिन कही सी बातें,
कुछ आधे-अधूरे झगडे,
कुछ अधबुने से सपने,
और कुछ सपने ऐसे, जिन्हे
साथ मिलकर बुनना था
वो जो बुन पाते
इससे पहले ही चल बसे,
उन सपनों की मैयत पर,
थोड़ी नज़रे हल्की करनी हैं,
हमको तुमसे सौ बातें करनी है।