Saturday, January 8, 2022

सुबह



कुछ अलसायी सी,
धूप और परछाइयों में लिपटी,
यूं ही पसरी हुई सुबह।

पड़ोस में दूरदर्शन पर,
चल रहे रंगोली के
गानों में भींगी हुई सुबह। 

हर पल बदलते हफ्ते भर की, 
उठा-पटक के बाद, 
एक साँस भरती सुबह। 

खोने-पाने, रोने-हसने के बीच, 
इश्क, और जिंदगी का, 
लेखा-जोखा करती सुबह