Saturday, June 28, 2008

ख्वाहिश एक कुत्ते की

कभी देखा है,
किसी व्यस्त सड़क के
एक किनारे खड़े
किसी कुत्ते को,
सड़क पार करने की ऊहाँपोह में?
किनारे पड़ खड़े
वह दौड़ाता है नज़रे
हर तरह, हर दिशा,
असमंजश में, लपलपाता है अपनी जीभ
और हिलाता है ख़ुद की पूँछ |

उस पार सड़क के
खड़ी दिखती है, एक कुतिया
आँखों में भरे उम्मीद, उसके आने की;
कुत्ता, देख कर उसकी आँखे,
कूद पड़ता है सड़क पर, अन्धाधुन्ध,
बिना कुछ सोचे, बिना कुछ विचारे |

अचानक, बत्ती चमकाती एक कार
बजाती है हाँर्न,
कुत्ता दो कदम पीछे हटता है,
तभी पीछे से आती है
हाँर्न की एक और आवाज़,
कुत्ता आगे गुज़री गाड़ी के
पीछे से लगता है छलाँग
और हो जाता है रस्ता पार
पीछे से जाता ड्राईवर
करता है गालियों की बौछार
पर क्या फर्क पड़ता है?
आख़िर ध्यान तो उसने ही रखा
की कुत्ते की मौत हो |
सड़क पार वह कुत्ता
मिलकर अपनी कुतिया से
खुश हो, हिलाता है अपनी दुम |

बात साफ़ है -
अगर पार करने की हो ख्वाहिश
तो सड़क पर उतरना ही पड़ता है,
राह गुजरते कुत्ते को
हर कार बचाती जायेगी;
सड़क किनारे खड़े रहे
तो क्या ड्राईवर को सपना आएगा
कि कुत्ते को है है रस्ता पार करने की ख्वाहिश?





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